आइए हम आकलन करें कि मोदी के भारत ने किस तरह चीन के विरुद्ध नया सुरक्षा चक्र बनाया है और अब तक की भारत की व्यूह रचना क्या है.
चीन ने मोदी को सैन्य आक्रामकता के जाल में फंसाकर, भारत की आंतरिक समस्याओं का उपयोग करने की जो रणनीति कांग्रेस और कम्युनिस्ट तत्वो से मिलकर बनाई वह असफल हो गई.
मोदी ने चीन के विरुद्ध, सर्वप्रथम राजनीतिक और आर्थिक स्तर पर आक्रमण किया तथा देश के व्यापक हित में तत्कालिक रूप से सैन्य टकराव को टाला है.
1. पृष्ठभूमि
डोकलाम विवाद के बाद ही चीन ने भारत के साथ एक युद्ध करने की तैयारी कर रखी थी.
भारत चीन के बॉर्डर पर सड़क परियोजना का निर्माण कार्य कर रहा था जिस से चीन को अपनी सुरक्षा का खतरा हुआ, चीन ने पेट्रोलिंग सीमा में अपने सेना को तैनात कर भारत के प्रति अपनी आक्रामकता का परिचय दिया.
2. तत्कालिक प्रतिक्रिया
जवाब में भारत ने ना केवल सड़क निर्माण कार्य को दुगनी गति से और तेज कर दिया बल्कि चीन की सेना की जवाब में उसी अनुपात में अपने सेना और सैन्य संसाधनों को तैनात कर चीन को यह दिखला दिया कि वह किसी भी हालत में क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता पर मोदी काल में समझौता नहीं करेगा तथा चीन को हर हालत मे उसकी पूर्ववत स्थिति में लाने के लिए बाध्य करेगा.
3. दंडात्मक कार्रवाई
भारत ने गालवान में चीन के दुस्साहस का उसके 100 से अधिक सैनिकों को बिना गोली बारूद के मार कर एक छोटी दंडात्मक कार्रवाई भी की. यह स्पष्ट संकेत है कि भारत चीन को उसके किसी भी दुस्साहस पर उसी के लहजे में उसे दंडित करेगा इसके लिए चीन की सैनिक शक्ति का उसे जरा भी भय नहीं है.
चीन के पीछे ना हटने पर भारत ने चीन के साथ युद्ध में निम्नलिखित रणनीति व्यूह रचना अपनाई है
4. सैन्य रणनीति.
(A) चीन ने पेट्रोलिंग एरिया के जिन सैन्य क्षेत्रों में बढ़त हासिल करके विवाद को जन्म दिया वहां युद्ध की परिस्थितियों को भारत के व्यापक हित में फिलहाल टाल दिया.
(B) पूरे बॉर्डर पर चीनी सैनिकों के अनुपात में ही भारतीय सैनिकों और हथियारों की तैनाती कर दी, तथा उन्हें और कोई अन्य अतिक्रमण करने से रोक दिया.
(C) पाकिस्तान और चीन द्वारा किसी भी सैन्य कार्रवाई को विफल करने के लिए अतिरिक्त बल तैनात किया है.
(D) LAC के साथ कहीं भी आक्रामक अभियान शुरू करने के लिए पहल को बनाए रखने के लिए सेना तथा सैन्य उपकरणों का पर्याप्त भंडार एकत्रित किया.
उपरोक्त भारतीय सैन्य तैयारियों से चीन को बाध्य कर दिया गया है कि वह एलएसी पर भारी-भरकम फौज की तैनाती पूरे ठंड के समय में बनाए रखें. अक्साईचिन और तिब्बत में चीन को लंबे समय तक अपनी सैन्य तैनाती बनाए रखना भारत की तुलना में अत्यंत खर्चीली साबित होगी उसके अच्छे बुनियादी ढांचे के बावजूद, दूसरा चीन को ऊंचे और दुर्गम पहाड़ी क्षेत्रों में ऐसी तैनाती का कोई अनुभव ही नहीं है.
5. अर्थिक एवं कूटनीतिक चोट
(A) दुश्मन को बड़ी आर्थिक चोट देने के लिए उसके निवेश उसके टेंडर तथा उनके व्यापार को भारत में हर तरह से खत्म करना.
(B) दुश्मन पर अप्रत्याशित डिजिटल आक्रमण किया गया और इसके तहत दुश्मन को आर्थिक नुकसान पहुंचाने के लिए उसके 104 ऐप्स को बैन करने के साथ-साथ डिजिटल व्यापार को समाप्त कर दिया.
(C) अमेरिका जापान ऑस्ट्रेलिया ब्रिटेन आदि के साथ मिलकर QUAD का गठन करना उसमें सक्रियता बढ़ाना तथा चीन को एक ऐसे रास्ते पर धकेलना जो उसके लिए आत्मघाती होगा. उसके अंतरराष्ट्रीय व्यापार को एक गहरी चोट दी गई है.
6. प्रोपेगेंडा युद्ध /सक्रिय एजेंट
(A) चीनी सैनिकों के झूठे युद्ध के वीडियो/ प्रोपेगेंडा और उसके शक्ति प्रदर्शन को सिरे से नकार दिया गया.
(B) भारत में सक्रिय चीनी एजेंट जिसमें प्रमुख रूप से मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस, कम्युनिस्ट पार्टी , वामपंथी तत्व, चीन के इशारे पर अचानक भारत के प्रधानमंत्री को निशाना बनाकर भारत का मनोबल तोड़ने तथा युद्ध युद्ध चिल्लाने लगे, उन सब को दरकिनार कर दिया गया. इनमें एनडीटीवी, द हिंदू, इंडियन एक्सप्रेस, अंग्रेजी बढ़िया तथा कांग्रेस समर्थित रिटायर्ड सैन्य अफसरों भी थे, जिनके हित और पोषण कांग्रेश करती थी.
7. पड़ोसी देश
नेपाल के तत्कालीन प्रधानमंत्री और जिस तरह चीन ने अपने शिकंजे में लिया और उसके कंधे का सहारा लेकर भारत पर जो आक्रमण करने की कोशिश की उससे चीन का एक उद्देश्य था कि भारत में मोदी सरकार के प्रति विपक्ष को एक मौका देना तथा भारत को भड़काना. यहाँ मोदी सरकार ने अत्यंत संयम से काम लिया क्योंकि भारत और नेपाल के नागरिकों के बीच ऐतिहासिक काल से ही बेटी-रोटी का रिश्ता है, जिसे कोई आया-गया राम, कोली जैसा तुच्छ प्रधानमंत्री बना या बिगाड़ नहीं सकता.
कुल मिलाकर, ऐसा लगता है कि भारत ने सैन्य मोर्चे पर फिलहाल टकराव और राजनयिक और आर्थिक मोर्चे पर सजा देने की रणनीति अपनाई है वह चीन के लिए बहुत दर्दनाक होने वाला है।
8. युद्ध
दुश्मन को नेस्तनाबूद कर देने के लिए युद्ध का समय अत्यंत महत्वपूर्ण होता है. जब प्रधानमंत्री रक्षा मंत्री, विदेश विभाग और भारतीय सेना ने चीन के पीछे न हटने पर अपना रुख स्पष्ट कर दिया है, तो फिर यह कहने की जरूरत नहीं है कि भारत सही समय पर जबरदस्त सबक सिखाने वाला है चीन को. बस इंतजार कीजिए. देश की आगामी रक्षा नीति मीडिया या अन्य फोरम नहीं बनाते, इसलिए युद्ध युद्ध ना चिल्लाए.
उपरोक्त सभी पब्लिक डोमेन में उपलब्ध है, इससे देश की आगामी सुरक्षा या सैन्य नीति का कोई लेना देना नहीं है.
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