आरà¥à¤®à¥€ कोरà¥à¤Ÿ रूम (Army Court Room) में आज
à¤à¤• केस अनोखा अड़ा था
छाती तान अफसरों के आगे फौजी बलवान
खड़ा था
बिन हà¥à¤•à¥à¤® बलवान तूने ये कदम कैसे उठा लिया,
किससे पूछ उस रात तू दà¥à¤¶à¥à¤®à¤¨ की सीमा में
जा लिया
बलवान बोला सर जी!ये बताओ कि वो किस से
पूछ के आये थे, सोये फौजियों के सिर काटने
का फरमान,कोन से बाप से लाये थे
बलवान का जवाब में सवाल
दागना अफसरों को पसंद नही आया, और बीच
वाले अफसर ने लिखने के लिठजलà¥à¤¦à¥€ से पेन
उठाया
à¤à¤• बोला बलवान हमें ऊपर जवाब देना है, और
तेरे काटे हà¥à¤ सिर का पूरा हिसाब देना है
तेरी इस करतूत ने हमारी नाक कटवा दी,
अंतरासà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ बिरादरी में तूने थू थू करवा दी
बलवान खून का कड़वा घूंट पी के रह गया, आà¤à¤–
में आया आंसू à¤à¥€à¤¤à¤° को ही बह गया
बोला साहब जी! अगर कोई
आपकी माठकी इजà¥à¤œà¤¤ लूटता हो, आपकी बहन
बेटी या पतà¥à¤¨à¥€ को सरेआम मारता कूटता हो
तो आप पहले अपने बाप
का हà¥à¤•à¤®à¤¨à¤¾à¤®à¤¾ लाओगे ?, या फिर अपने घर
की लà¥à¤Ÿà¤¤à¥€ इजà¥à¤œà¤¤ खà¥à¤¦ बचाओगे?
अफसर नीचे à¤à¤¾à¤à¤•à¤¨à¥‡ लगा, à¤à¤• ही जगह पर
ताकने लगा
बलवान बोला साहब जी! गाà¤à¤µ का गà¥à¤µà¤¾à¤° हूठबस
इतना जानता हूà¤, कौन कहाठहै देश का दà¥à¤¶à¥à¤®à¤¨
सरहद पे खड़ा खड़ा पहचानता हूà¤
सीधा सा आदमी हूठसाहब ! मै कोई आंधी नहीं हूà¤,
थपà¥à¤ªà¥œ खा गाल आगे कर दूठमै वो गांधी नहीं हूà¤
अगर सरहद पे खड़े होकर गोली न चलाने
की मà¥à¤¨à¤¾à¤¦à¥€ है, तो फिर साहब जी ! माफ़ करना ये
काहे की आजादी है
सà¥à¤¨à¥‹à¤‚ साहब जी ! सरहद पे जब जब
à¤à¥€ छिड़ी लडाई है, à¤à¤¾à¤°à¤¤ माठदà¥à¤¶à¥à¤®à¤¨ से नही आप
जैसों से हारती आई है
वोटों की राजनीति साहब जी लोकतंतà¥à¤° का मैल है,
और à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ सेना इस राजनीति की रखैल है
ये कà¥à¤¯à¤¾ हà¥à¤•à¤® देंगे हमें जो खà¥à¤¦ ही à¤à¤¿à¤–ारी हैं,
किनà¥à¤¨à¤° है सारे के सारे न कोई नर है न नारी है
जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ कà¥à¤› कहूठतो साहब जी ! दोनों हाथ जोड़
के माफ़ी है, दà¥à¤¶à¥à¤®à¤¨ का पेशाब निकालने
को तो हमारी आà¤à¤– ही काफी है
और साहब जी à¤à¤• बात बताओ, वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ से
थोडा सा पीछे जाओ
कारगिल में जब मैंने अपना पंजाब वाला यार
जसवंत खोया था, आप गवाह हो साहब जी उस
वकà¥à¤¤ मै बिलà¥à¤•à¥à¤² à¤à¥€ नहीं रोया था
खà¥à¤¦ उसके शरीर को उसके गाà¤à¤µ जाकर मै उतार
कर आया था, उसके दोनों बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ के सिर साहब
जी मै पà¥à¤šà¤•à¤¾à¤° कर आया था
पर उस दिन रोया मै जब
उसकी घरवाली होंसला छोड़ती दिखी, और लघà¥
सचिवालय में वो चपरासी के हाथ पांव
जोड़ती दिखी
आग लग गयी साहब जी दिल किया कि सबके
छकà¥à¤•à¥‡ छà¥à¥œà¤¾ दूà¤, चपरासी और उस चरितà¥à¤°à¤¹à¥€à¤¨
अफसर को मै गोली से उड़ा दूà¤
à¤à¤• लाख की आस में à¤à¤¾à¤à¥€ आज à¤à¥€ धकà¥à¤•à¥‡
खाती है, दो मासूमो की चमड़ी धूप में
यूà¤à¤¹à¥€ à¤à¥à¤²à¤¸à¥€ जाती है
और साहब जी ! शहीद जोगिनà¥à¤¦à¤° को तो नहीं à¤à¥‚ले
होंगे आप, घर में जवान बहन थी जिसकी और
अà¤à¤§à¤¾ था जिसका बाप
अब बाप हर रोज लड़की को कमरे में बंद करके
आता है, और सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ पर à¤à¤• रूपये के लिठजोर
से चिलà¥à¤²à¤¾à¤¤à¤¾ है
पता नही कितने जोगिनà¥à¤¦à¤° जसवंत यूà¤
अपनी जान गवांते हैं, और उनके परिजन मासूम
बचà¥à¤šà¥‡ यूठदर दर की ठोकरें खाते हैं...
à¤à¤°à¥‡ गले से तीसरा अफसर बोला बात को और
जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ न बढाओ, उस रात कà¥à¤¯à¤¾- कà¥à¤¯à¤¾ हà¥à¤†
था बस यही अपनी सफाई में बताओ
à¤à¤°à¥€ आà¤à¤–ों से हà¤à¤¸à¤¤à¥‡ हà¥à¤ बलवान बोलने लगा,
उसका हर बोल सबके कलेजों को छोलने लगा
साहब जी ! उस हमले की रात, हमने सनà¥à¤¦à¥‡à¤¶ à¤à¥‡à¤œà¥‡
लगातार सात
हर बार की तरह कोई जवाब नही आया, दो जवान
मारे गठपर कोई हिसाब नही आया
चौंकी पे जमे जवान लगातार गोलीबारी में मारे
जा रहे थे, और हम दà¥à¤¶à¥à¤®à¤¨ से नहीं अपने
हेडकà¥à¤µà¤¾à¤°à¥à¤Ÿà¤° से हारे जा रहे थे
फिर दà¥à¤¶à¥à¤®à¤¨ के हाथ में कटार देख मेरा सिर
चकरा गया, गà¥à¤°à¤®à¥‡à¤² का कटा हà¥à¤† सिर जब
दà¥à¤¶à¥à¤®à¤¨ के हाथ में आ गया
फेंक दिया टà¥à¤°à¤¾à¤‚समीटर मैंने और कà¥à¤› à¤à¥€ सूà¤
नहीं आई थी, बिन आदेश के पहली मरà¥à¤¤à¤¬à¤¾ सर !
मैंने बनà¥à¤¦à¥‚क उठाई थी
गà¥à¤°à¤®à¥‡à¤² का सिर लिठदà¥à¤¶à¥à¤®à¤¨ रेखा पार कर गया,
पीछे पीछे मै à¤à¥€ अपने पांव उसकी धरती पे धर
गया
पर वापिस हार का मà¥à¤à¤¹ देख के न आया हूà¤, वो à¤à¤•
काट कर ले गठथे मै दो काटकर लाया हूà¤
इस बà¥à¤¯à¤¾à¤¨ का कोरà¥à¤Ÿ में न जाने कैसा असर गया,
पूरे ही कमरे में à¤à¤• सनà¥à¤¨à¤¾à¤Ÿà¤¾ सा पसर गया
पूरे का पूरा माहौल बस à¤à¤• ही सवाल में
खो रहा था, कि कोरà¥à¤Ÿ मारà¥à¤¶à¤²
फौजी का था या पूरे देश का हो रहा था ?