à¤à¤¾à¤°à¤¤ के बारे में रोचक तथà¥-य
à¤à¤¾à¤°à¤¤ ने अपने आखिरी 100000 वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ के इतिहास में किसी à¤à¥€ देश पर हमला नहीं किया है।
जब कई संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में 5000 साल पहले घà¥à¤®à¤‚तू वनवासी थे, तब à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯à¥‹à¤‚ ने सिंधॠघाटी (सिंधॠघाटी सà¤à¥à¤¯à¤¤à¤¾) में हड़पà¥à¤ªà¤¾ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ की।
à¤à¤¾à¤°à¤¤ का अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ में नाम 'इंडिया' इं-डस नदी से बना है, जिसके आस पास की घाटी में आरंà¤à¤¿à¤• सà¤à¥-यताà¤à¤‚ निवास करती थी। आरà¥à¤¯ पूजकों में इस इंडस नदी को सिंधॠकहा।
ईरान से आठआकà¥à¤°à¤®à¤£à¤•à¤¾à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ ने सिंधॠको हिंदॠकी तरह पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— किया। 'हिंदà¥à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤¨' नाम सिंधॠऔर हिंदॠका संयोजन है, जो कि हिंदà¥à¤“ं की à¤à¥‚मि के संदरà¥à¤ में पà¥à¤°à¤¯à¥à¤•à¥à¤¤ होता है।
शतरंज की खोज à¤à¤¾à¤°à¤¤ में की गई थी।
बीज गणित, तà¥à¤°à¤¿à¤•à¥‹à¤£ मिति और कलन का अधà¥-ययन à¤à¤¾à¤°à¤¤ में ही आरंठहà¥à¤† था।
'सà¥-थान मूलà¥-य पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤²à¥€' और 'दशमलव पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤²à¥€' का विकास à¤à¤¾à¤°à¤¤ में 100 बी सी में हà¥à¤† था।
विशà¥-व का पà¥à¤°à¤¥à¤® गà¥à¤°à¥‡à¤¨à¤¾à¤‡à¤Ÿ मंदिर तमिलनाडॠके तंजौर में बृहदेशà¥-वर मंदिर है। इस मंदिर के शिखर गà¥à¤°à¥‡à¤¨à¤¾à¤‡à¤Ÿ के 80 टन के टà¥à¤•à¤¡à¤¼à¥‹à¤‚ से बने हैं। यह à¤à¤µà¥-य मंदिर राजाराज चोल के राजà¥-य के दौरान केवल 5 वरà¥à¤· की अवधि में (1004 ठडी और 1009 ठडी के दौरान) निरà¥à¤®à¤¿à¤¤ किया गया था।
à¤à¤¾à¤°à¤¤ विशà¥-व का सबसे बड़ा लोकतंतà¥à¤° और विशà¥-व का सातवां सबसे बड़ा देश तथा पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ सà¤à¥-यताओं में से à¤à¤• है।
सांप सीढ़ी का खेल तेरहवीं शताबà¥-दी में कवि संत जà¥à¤žà¤¾à¤¨ देव दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ तैयार किया गया था इसे मूल रूप से मोकà¥à¤·à¤ªà¤Ÿ कहते थे। इस खेल में सीढियां वरदानों का पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¨à¤¿à¤§à¤¿à¤¤à¥-व करती थीं जबकि सांप अवगà¥à¤£à¥‹à¤‚ को दरà¥à¤¶à¤¾à¤¤à¥‡ थे। इस खेल को कौडियों तथा पांसे के साथ खेला जाता था। आगे चल कर इस खेल में कई बदलाव किठगà¤, परनà¥-तॠइसका अरà¥à¤¥ वहीं रहा अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ अचà¥-छे काम लोगों को सà¥-वरà¥à¤— की ओर ले जाते हैं जबकि बà¥à¤°à¥‡ काम दोबारा जनà¥-म के चकà¥à¤° में डाल देते हैं।
दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ का सबसे ऊंचा कà¥à¤°à¤¿à¤•à¥‡à¤Ÿ का मैदान हिमाचल पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ के चायल नामक सà¥-थान पर है। इसे समà¥à¤¦à¥à¤°à¥€ सतह से 2444 मीटर की ऊंचाई पर à¤à¥‚मि को समतल बना कर 1893 में तैयार किया गया था।
à¤à¤¾à¤°à¤¤ में विशà¥-व à¤à¤° से सबसे अधिक संखà¥-या में डाक खाने सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ हैं।
à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ रेल देश का सबसे बड़ा नियोकà¥à¤¤à¤¾ है। यह दस लाख से अधिक लोगों को रोजगार पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करता है।
विशà¥-व का सबसे पà¥à¤°à¤¥à¤® विशà¥-वविदà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ 700 बी सी में तकà¥à¤·à¤¶à¤¿à¤²à¤¾ में सà¥-थापित किया गया था। इसमें 60 से अधिक विषयों में 10,500 से अधिक छातà¥à¤° दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾à¤à¤° से आकर अधà¥-ययन करते थे। नालंदा विशà¥-वविदà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ चौथी शताबà¥-दी में सà¥-थापित किया गया था जो शिकà¥à¤·à¤¾ के कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ à¤à¤¾à¤°à¤¤ की महानतम उपलबà¥à¤§à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में से à¤à¤• है।
आयà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦ मानव जाति के लिठजà¥à¤žà¤¾à¤¤ सबसे आरंà¤à¤¿à¤• चिकितà¥-सा शाखा है। शाखा विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ के जनक माने जाने वाले चरक में 2500 वरà¥à¤· पहले आयà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦ का समेकन किया था।
à¤à¤¾à¤°à¤¤ 17वीं शताबà¥-दी के आरंठतक बà¥à¤°à¤¿à¤Ÿà¤¿à¤¶ राजà¥-य आने से पहले सबसे समà¥-पनà¥-न देश था। कà¥à¤°à¤¿à¤¸à¥-टोफर कोलमà¥-बस à¤à¤¾à¤°à¤¤ की समà¥-पनà¥-नता से आकरà¥à¤·à¤¿à¤¤ हो कर à¤à¤¾à¤°à¤¤ आने का समà¥à¤¦à¥à¤°à¥€ मारà¥à¤— खोजने चला और उसने गलती से अमेरिका को खोज लिया।
नौवहन की कला और नौवहन का जनà¥-म 6000 वरà¥à¤· पहले सिंध नदी में हà¥à¤† था। दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ का सबसे पहला नौवहन संसà¥-कृ-त शबà¥-द नव गति से उतà¥-पनà¥-न हà¥à¤† है। शबà¥-द नौ सेना à¤à¥€ संसà¥-कृत शबà¥-द नोउ से हà¥à¤†à¥¤
à¤à¤¾à¤¸à¥-कराचारà¥à¤¯ ने खगोल शासà¥-तà¥à¤° के कई सौ साल पहले पृथà¥-वी दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ सूरà¥à¤¯ के चारों ओर चकà¥-कर लगाने में लगने वाले सही समय की गणना की थी। उनकी गणना के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° सूरà¥à¤¯ की परिकà¥à¤°à¤®à¤¾ में पृथà¥-वी को 365.258756484 दिन का समय लगता है।
à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ गणितजà¥à¤ž बà¥à¤§à¤¾à¤¯à¤¨ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ 'पाई' का मूलà¥-य जà¥à¤žà¤¾à¤¤ किया गया था और उनà¥-होंने जिस संकलà¥-पना को समà¤à¤¾à¤¯à¤¾ उसे पाइथागोरस का पà¥à¤°à¤®à¥‡à¤¯ करते हैं। उनà¥-होंने इसकी खोज छठवीं शताबà¥-दी में की, जो यूरोपीय गणितजà¥à¤žà¥‹à¤‚ से काफी पहले की गई थी।
बीज गणित, तà¥à¤°à¤¿à¤•à¥‹à¤£ मिति और कलन का उदà¥à¤à¤µ à¤à¥€ à¤à¤¾à¤°à¤¤ में हà¥à¤† था। चतà¥à¤·à¥-पद समीकरण का उपयोग 11वीं शताबà¥-दी में शà¥à¤°à¥€ धराचारà¥à¤¯ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ किया गया था। गà¥à¤°à¥€à¤• तथा रोमनों दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ उपयोग की गई की सबसे बड़ी संखà¥-या 106 थी जबकि हिनà¥-दà¥à¤“ं ने 10*53 जितने बड़े अंकों का उपयोग (अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ 10 की घात 53), के साथ विशिषà¥-ट नाम 5000 बीसी के दौरान किया। आज à¤à¥€ उपयोग की जाने वाली सबसे बड़ी संखà¥-या टेरा: 10*12 (10 की घात12) है।
वरà¥à¤· 1896 तक à¤à¤¾à¤°à¤¤ विशà¥-व में हीरे का à¤à¤• मातà¥à¤° सà¥à¤°à¥‹à¤¤ था।
(सà¥à¤°à¥‹à¤¤: जेमोलॉजिकल इंसà¥-टी-टà¥à¤¯à¥‚ट ऑफ अमेरिका)
बेलीपà¥à¤² विशà¥-व- में सबसे ऊंचा पà¥à¤² है। यह हिमाचल परà¥à¤µà¤¤ में दà¥à¤°à¤¾à¤¸ और सà¥à¤°à¥ नदियों के बीच लदà¥à¤¦à¤¾à¤– घाटी में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है। इसका निरà¥à¤®à¤¾à¤£ अगसà¥-त 1982 में à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ सेना दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ किया गया था।
सà¥à¤¶à¥à¤°à¥à¤¤ को शलà¥-य चिकितà¥-सा का जनक माना जाता है। लगà¤à¤— 2600 वरà¥à¤· पहले सà¥à¤¶à¥à¤°à¥à¤¤ और उनके सहयोगियों ने मोतियाबिंद, कृतà¥à¤°à¤¿à¤® अंगों को लगना, शलà¥-य कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ पà¥à¤°à¤¸à¤µ, असà¥à¤¥à¤¿à¤à¤‚ग जोड़ना, मूतà¥à¤°à¤¾à¤¶à¤¯ की पथरी, पà¥-लासà¥à¤Ÿà¤¿à¤• सरà¥à¤œà¤°à¥€ और मसà¥à¤¤à¤¿à¤·à¥-क की शलà¥-य कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤à¤‚ आदि की।
निशà¥-चेतक का उपयोग à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ चिकितà¥-सा विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ में à¤à¤²à¥€ à¤à¤¾à¤‚ति जà¥à¤žà¤¾à¤¤ था। शारीरिकी, à¤à¥à¤°à¥‚ण विजà¥à¤žà¤¾à¤¨, पाचन, चयापचय, शरीर कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ विजà¥à¤žà¤¾à¤¨, इटियोलॉजी, आनà¥à¤µà¤¾à¤‚शिकी और पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤°à¤•à¥à¤·à¤¾ विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ आदि विषय à¤à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ गà¥à¤°à¤‚थों में पाठजाते हैं।
à¤à¤¾à¤°à¤¤ से 90 देशों को सॉफà¥à¤Ÿà¤µà¥‡à¤¯à¤° का निरà¥à¤¯à¤¾à¤¤ किया जाता है।
à¤à¤¾à¤°à¤¤ में 4 धरà¥à¤®à¥‹à¤‚ का जनà¥-म हà¥à¤† – हिनà¥-दà¥, बौदà¥à¤§, जैन और सिकà¥-ख धरà¥à¤® और जिनका पालन दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ की आबादी का 25 पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ हिसà¥-सा करता है।
जैन धरà¥à¤® और बौदà¥à¤§ धरà¥à¤® की सà¥-थापना à¤à¤¾à¤°à¤¤ में कà¥à¤°à¤®à¤¶: 600 बी सी और 500 बी सी में हà¥à¤ˆ थी।
इसà¥-लाम à¤à¤¾à¤°à¤¤ का और दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ का दूसरा सबसे बड़ा धरà¥à¤® है।
à¤à¤¾à¤°à¤¤ में 3,00,000 मसà¥à¤œà¤¿à¤¦à¥‡à¤‚ हैं जो किसी अनà¥-य देश से अधिक हैं, यहां तक कि मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® देशों से à¤à¥€ अधिक।
à¤à¤¾à¤°à¤¤ में सबसे पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¤¾ यूरोपियन चरà¥à¤š और सिनागोग कोचीन शहर में है। इनका निरà¥à¤®à¤¾à¤£ कà¥à¤°à¤®à¤¶: 1503 और 1568 में किया गया था।
जà¥-यू और ईसाई वà¥-यकà¥à¤¤à¤¿ à¤à¤¾à¤°à¤¤ में कà¥à¤°à¤®à¤¶: 200 बी सी और 52 ठडी से निवास करते हैं।
विशà¥-व में सबसे बड़ा धारà¥à¤®à¤¿à¤• à¤à¤µà¤¨ अंगकोरवाट, हिनà¥-दॠमंदिर है जो कमà¥-बोडिया में 11वीं शताबà¥-दी के दौरान बनाया गया था।
तिरà¥à¤ªà¤¤à¤¿ शहर में बना विषà¥-णॠमंदिर 10वीं शताबà¥-दी के दौरान बनाया गया था, यह विशà¥-व का सबसे बड़ा धारà¥à¤®à¤¿à¤• गंतवà¥-य है। रोम या मकà¥-का धारà¥à¤®à¤¿à¤• सà¥-थलों से à¤à¥€ बड़े इस सà¥-थान पर पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¦à¤¿à¤¨ औसतन 30 हजार शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤²à¥ आते हैं और लगà¤à¤— 6 मिलियन अमेरिकी डॉलर पà¥à¤°à¤¤à¤¿ दिन चढ़ावा आता है।
सिकà¥-ख धरà¥à¤® का उदà¥à¤à¤µ पंजाब के पवितà¥à¤° शहर अमृतसर में हà¥à¤† था। यहां पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ सà¥-वरà¥à¤£ मंदिर की सà¥-थापना 1577 में गई थी।
वाराणसी, जिसे बनारस के नाम से à¤à¥€ जाना जाता है, à¤à¤• पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ शहर है जब à¤à¤—वान बà¥à¤¦à¥à¤§ ने 500 बी सी में यहां आगमन किया और यह आज विशà¥-व का सबसे पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¤¾ और निरंतर आगे बढ़ने वाला शहर है।
à¤à¤¾à¤°à¤¤ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ शà¥à¤°à¥€à¤²à¤‚का, तिबà¥-बत, à¤à¥‚टान, अफगानिसà¥-तान और बांगà¥-लादेश के 3,00,000 से अधिक शरणारà¥à¤¥à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¾ दी जाती है, जो धारà¥à¤®à¤¿à¤• और राजनैतिक अà¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤œà¤¨ के फलसà¥-वरूप वहां से निकल गठहैं।
माननीय दलाई लामा तिबà¥-बती बौदà¥à¤§ धरà¥à¤® के निरà¥à¤µà¤¾à¤¸à¤¿à¤¤ धारà¥à¤®à¤¿à¤• नेता है, जो उतà¥à¤¤à¤°à¥€ à¤à¤¾à¤°à¤¤ के धरà¥à¤®à¤¶à¤¾à¤²à¤¾ में अपने निरà¥à¤µà¤¾à¤¸à¤¨ में रह रहे हैं।
यà¥à¤¦à¥à¤§ कलाओं का विकास सबसे पहले à¤à¤¾à¤°à¤¤ में किया गया और ये बौदà¥à¤§ धरà¥à¤® पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤°à¤•à¥‹à¤‚ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ पूरे à¤à¤¶à¤¿à¤¯à¤¾ में फैलाई गई।
योग कला का उदà¥à¤à¤µ à¤à¤¾à¤°à¤¤ में हà¥à¤† है और यह 5,000 वरà¥à¤· से अधिक समय से मौजूद है।
à¤à¤¾à¤°à¤¤ के बारे में रोचक तथà¥-य - राषà¥-टà¥à¤°à¥€à¤¯ दिवस - मेरा à¤à¤¾à¤°à¤¤ मेरी शान - à¤à¤¾à¤°à¤¤ के बारे में जानें: à¤à¤¾à¤°à¤¤ के