This is what my Muslim friend has shared on whatsapp.
1. First time in my life I heard "हिंदू तुष्टिकरण" or Hindu appeasement for a Hindu majority India
can a majority be appeased ?
2. They are rejoicing stating that 11 Lakhs are Hindus out of 19 Lakhs.
3. Praising Badruddin Azmal ...etc.
एनआरसी चारो खाने चित्त
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असम में एनआरसी की लिस्ट आज आई जिसमें 19 लाख लोगों के नाम लिस्ट में नहीं थे यानी 19 लाख लोग विदेशी घोषित कर दिए गए। ये लोग अब डिटेंशन सेंटरों में भेजे जाएंगे।
एनआरसी लिस्ट आने के बाद इसे सबसे पहले बीजेपी के नेताओं ने खारिज किया। हालांकि अन्य दलों के नेताओं ने भी खारिज किया लेकिन असम के बड़े बड़े बीजेपी नेताओं ने इसे जिस तरह खारिज किया है, वह चौंकाने वाला है। आइए जानते हैं कि असम के बीजेपी नेता एनआरसी लिस्ट को लेकर इतना परेशान क्यों हैं...
एनआरसी लिस्ट में शामिल नहीं 19 लाख लोगों में
13 लाख हिंदू हैं, जिनके नाम इस लिस्ट में नहीं हैं। इन 13 लाख लोगों में से 11 लाख बंगाली हिंदू और दो लाख अन्य हैं।
6 लाख मुसलमान हैं, जिनके नाम इस लिस्ट में नहीं हैं।
अंदाजा यह लगाया गया था कि एनआरसी में सबसे ज्यादा मुसलमानों के नाम नहीं होंगे लेकिन इसका ठीक उल्टा हुआ। असम के पत्रकार साथियों ने मुझे बताया कि असम के मुस्लिम नेता बदरुद्दीन अजमल ने इसके लिए बहुत मेहनत की। वह गांव-गांव घूमे। उनके कार्यकर्ताओं ने घर घर जाकर पुराने दस्तावेज निकलवाने और संभलाने में असम के मुसलमानों की खासी मदद की।
बहरहाल, असम में एनआरसी लिस्ट वहां की बीजेपी सरकार के गले का फंदा बन गई है। बीजेपी ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में अपील करने का फैसला किया है।
केंद्र सरकार को शायद इसका अंदाजा हो गया था, तभी उसने एक हफ्ते पहले बयान दिया था कि जिनके नाम लिस्ट में नहीं हैं, उन्हें विदेशी घोषित नहीं किया जाएगा। उन्हें अपील करने का मौका मिलेगा।
बहरहाल, चाहे वो 13 लाख हिंदू हों या 6 लाख मुसलमान हों...किसी का भी नाम छूटने का मुझे व्यक्तिगत दुख हैं। इसकी वजह यह है कि असम में बांग्लादेशी घुसपैठियों की तादाद उतनी नहीं है, जितनी बड़ी बताई गई थी। यह समस्या उतनी बड़ी नहीं थी लेकिन बीजेपी ने सिर्फ हिंदू तुष्टिकरण के लिए और तमाम मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए इसकी व्यूह रचना की थी। ...कुल मिलाकर गृह मंत्री अमित शाह का इसे पूरे देश में लागू करने का जो बयान आया था, वो बताता है कि सरकार इसे सभी राज्यों में लागू करेगी। अगर सचमुच ऐसा होने जा रहा है तो तमाम लोगों को इसमें घबराने की जरूरत नहीं है। पुराने दस्तावेज तलाशने में जितना रहीम खान परेशान होंगे, उतना ही रामलाल भी होंगे।...
तो बेफिक्र रहिए...एनआरसी इस सरकार की कमर तोड़ने वाला इंतजाम है। बड़े मियां मंदी संभालेंगे कि एनआरसी संभालेंगे...सब्र रखिए और देखते जाइए...